आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "जब तुममें से किसी को नमाज़ पढ़ने की दशा में नींद आए, तो सो जाए, यहाँ तक नींद खत्म हो जाए। क्योंकि ऊँघते हुए जब कोई नमाज़ पढ़ता है, तो वह नहीं जान पाता कि अपने लिए क्षमा की दुआ कर रहा है या अपने हक़ में बददुआ कर रहा है।
«ما من عبد يَسْتَرْعِيْهِ الله رَعِيَّةً, يموت يوم يموت, وهو غاشٌّ لِرَعِيَّتِهِ؛ إلا حرَّم الله عليه الجنة» رواه البخاري