कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुझसे फ़रमाया: क्या मैं तुम्हें, तुम्हारे मस्जिद से निकलने से पहले- पहले क़ुरआन की महानतम सूरा न सिखाऊँ? आपने मेरा हाथ पकड़ लिया। जब हम मस्जिद से निकलने लगे, तो मैंने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! आपने कहा था कि आप हमें क़ुरआन की महानतम सूरा सिखाएँगे? तो फ़रमाया: यह सूरा है: अल- हमदु लिल्लाहि रब्बिल- आलमीन, यह सब-अल-मसानी (बार- बार दोहराई जाने वाली सात आयतें) और महान क़ुरआन का सार है, जो मुझे दिया गया है।
عن أبي جُحَيْفَة -رضي الله عنه- قال: كنتُ عند النبي ﷺ فقال لرجل عنده: «لا آكُلُ وأنا مُتَّكِئ». رواه البخاري