अबू हुरैरा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "लोग सोने चाँदी के खदान की तरह खदान हैं। जो लोग जाहिलियत में बेहतर थे, वे इस्लाम में भी बेहतर हैं, यदि इस्लाम की समझ प्राप्त कर लें। सारे प्राण एकत्र सेना थे; जिस-जिस ने वहाँ एक-दूसरे को पहचाना, वह दुनिया में एक-दूसरे से प्रेम रखते हैं, और जिस-जिस ने वहाँ एक-दूसरे की पहचान न की, वह यहाँ एक-दूसरे से बेगाना रहते हैं।
«من خَرج في طلب العلم فهو في سَبِيلِ الله حتى يرجع». [الترمذي]