तुमपर ऐसे शासक नियुक्त किए जाएँगे, जिनके कुछ काम तुम्हें अच्छे लगेंगे और कुछ बुरे। अतः, जिसने (उनके बुरे कामों को) नापसंद किया, वह बरी हो गया और जिसने अस्वीकार किया, वह सुरक्षित रहा, परन्तु जिसने ठीक जाना और पालन कया (वह विनाश का शिकार हुआ)। सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! क्या हम उनसे युद्ध न करें? फ़रमायाः नहीं, जब तक तुम्हारे साथ नमाज़ कायम करते रहें।
«يَا أَبَا ذَرٍّ، إِنِّي أَرَاكَ ضَعِيفًا، وَإِنِّي أُحِبُّ لَكَ مَا أُحِبُّ لِنَفْسِي، لاَ تَأَمَّرَنَّ عَلَى اثْنَينِ، وَلاَ تَوَلَّيَنَّ مَالَ يَتِيمٍ» رواه مسلم