अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "मेरी ओर से दूसरों तक पहुँचा दो, चाहे एक आयत ही हो, तथा इसराईली वंश के लोगों से वर्णन करो, इसमें कोई हर्ज नहीं है, तथा जिसने मुझपर जान-बूझकर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।"
قَالَ رَسُولُ اللَّهِ ﷺ : " إِنَّ مِنْ أَعْظَمِ الْفِرَى أَنْ يَدَّعِيَ الرَّجُلُ إِلَى غَيْرِ أَبِيهِ أَوْ يُرِيَ عَيْنَهُ مَا لَمْ تَرَ أَوْ، يَقُولُ: عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مَا لَمْ يَقُلْ ". صحيح البخاري