अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "क़सम है उस ज़ात की जिसके हाथ में मोहम्मद की जान है, मेरे विषय में इस उम्मत का जो व्यक्ति भी सुने, चाहे वह यहूदी हो या ईसाई, फिर वह उस चीज़ पर ईमान न लाए जिसके साथ मैं भेजा गया हूँ, तो वह जहन्नमी होगा।
«والذي نفسُ مُحمَّد بيدِه، لا يسمعُ بي أحدٌ من هذه الأمة يهوديٌّ، ولا نصرانيٌّ، ثم يموتُ ولم يؤمن بالذي أُرْسِلتُ به، إلَّا كان مِن أصحاب النار». [صحيح.] - [رواه مسلم.]