एक मुसलमन के दूसरे मुसलमान पर छह अधिकार हैं; जब उससे मिलो तो उसे सलाम करो, जब वह आमंत्रण दे तो उसका आमंत्रण स्वीकार करो, जब तुमसे शुभचिंतन की आशा रखे तो उसका शुभचिंतक बनो, जब छींकने के बात अल्लाह की प्रशंसा करे तो 'यरहमुकल्लाह' कहो, जब बीमार हो तो उसका हाल जानने जाओ और जब मर जाए तो उसके पीछे चलो।
حقُّ المسلم على المسلم ست: إذا لَقِيتَهُ فسَلِّمْ عليه, وإذا دعاك فَأَجِبْهُ، وإذا اسْتَنْصَحَكَ فانْصَحْهُ, وإذا عَطَسَ فَحَمِدَ الله فسَمِّتْهُ، وإذا مرض فعُدْهُ, وإذا مات فاتَّبِعْهُ» [صحيح.] - [رواه مسلم.]