मैं अपनी उम्मत पर दो चीजों से डरता हूँः क़ुरआन और दूध। जहाँ तक दूध की बात है, तो लोग उसके कारण देहातों की ओर चले जाएँगे और अपनी इच्छाओं के पीछे भागेंगे तथा नमाज़ छोड़ेंगे। रही बात क़ुरआन की, तो मुनाफ़िक़ भी उसे सीख लेंगे और उसके आधार पर मोमिनों से बहस करेंगे।
«إنِّي أخاف على أُمَّتي اثنَتَيْن: القرآنَ واللَّبَن، أما اللَّبَن فيَبْتَغُون الرِّيفَ ويتَّبِعون الشَّهَوَاتِ ويَتْركون الصلوات، وأما القرآن فيتعلَّمه المنافقون فيُجادِلون به المؤمنين». (رواه احمد)