इब्ने मसऊद (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो अल्लाह की किताब का कोई एक शब्द पढ़ेगा, उसे एक नेकी मिलेगी और नेकी दस गुणा तक दी जाती है। मैं यह नहीं कहता कि अलिफ़ लाम मीम मिल कर एक शब्द है, बल्कि अलिफ़ एक शब्द, लाम एक शब्द और मीम एक अलग शब्द है।
«مَنْ قَرَأ حَرْفاً مِنْ كِتاب الله فَلَهُ حَسَنَة، والحَسَنَة بِعَشْرِ أمْثَالِها، لا أقول: ألم حَرفٌ، ولكِنْ: ألِفٌ حَرْفٌ، ولاَمٌ حَرْفٌ، ومِيمٌ حَرْفٌ». (الترمذي)