अबूज़र गिफ़ारी (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हुए कहते हैंः "किसी भी नेकी के काम को हरगिज़ कमतर न जानो, चाहे इतना ही क्यों न हो कि तुम अपने भाई से हँसते हुए मिलो।
«لا تَحْقِرَنَّ من المعروف شيئا, ولو أن تَلْقَى أخاك بوجه طَلْق». (مسلم)