झूठा वह नहीं है, जो लोगों के बीच सुधार का प्रयास करे एवं भली बात पहुँचाए अथवा अच्छी बात कहे। तथा सह़ीह़ मुस्लिम की रिवायत में इतना अधिक हैः वह कहती हैंः मैंने नहीं सुना है कि आपने तीन स्थानों के सिवा कहीं और झूठ बोलने की अनुमति दी हो। यानी युद्ध में, लोगों के बिगड़े संबंधों को बेहतर बनाने के लिए तथा पति के अपनी पत्नी से बात करते समय एवं पत्नी के अपने पति से बात करते समय।
«ليس الكذاب الذي يُصلح بين الناس فَيَنْمِي خيرًا، أو يقول خيرًا» (البخاري)