अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः कोई संतान अपने पिता का बदला चुका नहीं सकती, सिवाय इसके कि उसे गुलामी की अवस्था में पाए और ख़रीदकर आज़ाद कर दे।
وَاللهِ إني لأَسْتَغْفِرُ اللهَ وأَتُوبُ إليهِ في اليومِ أَكْثَرَ من سَبْعِينَ مَرَّةً (البخاري)