अबू लुबाबा बशीर बिन अब्दुल मुनज़िर (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो क़ुरआन को मधुर आवाज़ से न पढ़े, वह हम में से नहीं है।
«ما يُصيب المسلم من نَصب، ولا وصَب، ولا هَمِّ، ولا حَزن، ولا أَذى، ولا غَمِّ، حتى الشوكة يُشاكها إلا كفر الله بها من خطاياه». [متفق عليه]