अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- से मरफ़ूअन वर्णित है कि एक व्यक्ति लोगों को क़र्ज़ देता और अपने सेवकों से कहा करता कि जब किसी ऋण चुकाने में असमर्थ व्यक्ति के पास जाओ तो उसके क़र्ज़ की अनदेखी करो। हो सकता है कि अल्लाह हमारे गुनाहों की अनदेखी करे। तो जब वह मरने के बाद, अल्लाह से मिला तो अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया।
«كان رجل يُدَايِنُ الناس، وكان يقول لفَتَاه: إذا أَتَيْتَ مُعْسِرًا فَتَجَاوَزْ عنه، لعَلَّ الله أن يَتَجَاوَزَ عنَّا، فَلَقِيَ الله فتَجَاوز عنه». (البخاري)