अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।
«أقْرَبُ ما يَكون العبد مِنْ رَبِّهِ وهو ساجد، فَأَكْثروا الدُّعاء».[صحيح.] - [رواه مسلم.]